राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) - मिशन कर्मयोगी
उद्देश्य
1.1 सिविल सेवाएं सभी सरकारी गतिविधियों के केंद्र में हैं-वे नीति निर्माण के एजेंट हैं और ऐसी कार्यकारी व्यवस्था है जो जमीनी स्तर पर कार्यनिष्पादन करती हैं। सिविल सेवकों का कौशल एवं क्षमता, सेवाएं प्रदान करने, कार्यक्रम कार्यान्वयन और शासन संबंधी मुख्य कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व को देखते हुए, राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) का उद्देश्य एक ऐसी पेशेवर, सुप्रशिक्षित और भविष्य का दृष्टिकोण रखने वाली सिविल सेवा का निर्माण करना है जो भारत की विकासात्मक आकांक्षाओं, राष्ट्रीय कार्यक्रमों और प्राथमिकताओं की साझा समझ का जज्बा रखती हो।
1.2 एनपीसीएससीबी का मुख्य जोर नागरिक और सरकार के परस्पर संबंध को बढ़ाकर जीवनयापन की सुगमता (ईज ऑफ लिविंग) और व्यापार करने की सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) को बढ़ावा देने पर है। इसमें सिविल सेवकों के बीच कार्यात्मक और व्यवहारात्मक दक्षताओं दोनों का विकास शामिल है।
एनपीसीएससीबी – आधार स्तंभ और दर्शन
2.1 नीति आयोग ने इंडिया@75 पर अपनी रिपोर्ट में प्रशिक्षण में सुधार की जरूरत पर प्रकाश डाला है। कोविड-19 महामारी के दौरान प्राप्त अनुभवों ने भी सिविल सेवा के सक्रियशील होने और विविध हितधारकों के साथ साझेदारी करने में सक्षम होने और नई दक्षताओं की अद्यतन जानकारी की आवश्यकता पर जोर दिया है। एनपीसीएससीबी को सिविल सेवकों की भावी पीढ़ियों के लिए क्षमता विकास की नींव रखने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए दुनिया भर के सर्वोत्तम कार्य व्यवहारों से सीख सकें ।
2.2 एनपीसीएससीबी का प्रमुख दर्शन "नियम आधारित" प्रणाली को "भूमिका-आधारित" प्रणाली में बदलकर दक्षता उन्मुख प्रशिक्षण और मानव संसाधन (एचआर) प्रबंधन का एक व्यवस्था तंत्र बनाना है।
2.3 राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम में छह प्रमुख स्तंभ हैं अर्थात्
क) नीतिगत ढांचा
ख) सांस्थानिक ढांचा
ग) दक्षता ढांचा
घ) डिजिटल लर्निंग फ्रेमवर्क आईगॉट-कर्मयोगी (एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण कर्मयोगी प्लेटफॉर्म)
ड़) इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस) और
च) निगरानी और मूल्यांकन ढांचा ।
2.4 एनपीसीएससीबी केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संगठनों और एजेंसियों में सभी सिविल सेवकों (संविदात्मक कर्मचारियों सहित) को शामिल करेगा। इच्छुक राज्य सरकारों को भी अपनी क्षमता विकास योजनाओं को इसी तर्ज पर तैयार करने में सक्षम बनाया जाएगा।
नीतिगत ढांचा
3.1 एक दक्षता आधारित मानव संसाधन नीति के लिए सही समय पर सही भूमिका के लिए सही व्यक्ति को काम सौंपने की आवश्यकता होती है। एनपीसीएससीबी का उद्देश्य सरकार में ऐसी एचआर नीति को लागू करने की दिशा में एक मजबूत नीतिगत ढांचा तैयार करना है। नीतिगत ढांचे में पूरे कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन के लिए और विशेष रूप से सीखने की सामग्री की गुणवत्ता, उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया का आकलन एवं दक्षता मूल्यांकन करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डाटा एनालिटिक्स जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों को भी अपनाने में मदद मिलेगी।
3.2 यह दृष्टिकोण क्षमता विकास में संकीर्णतावादी दृष्टिकोण (साइलो) को तोड़ेगा और सिविल सेवाओं में समान आधार पर ज्ञान को सभी को उपलब्ध कराएगा। प्रशिक्षण और क्षमता विकास की सुविधा प्रदान करने के अलावा सेवा मामलों जैसे स्थायीकरण अर्थात् परिवीक्षा अवधि पूरी होना, तैनाती, कार्य आबंटन, कार्य समुनदेशन, रिक्तियों की अधिसूचना आदि को प्रस्तावित दक्षता ढांचे के साथ एकीकृत किया जाएगा।
3.3 इस प्रस्तावित नीतिगत ढांचे के प्रमुख सिद्धांत निम्नानुसार हैं:
• भौतिक क्षमता विकास पद्धति को ऑन-लाइन प्रशिक्षण पद्धति के माध्यम से और बेहतर बनाना।
• "ऑफ साइट-सीखने की पद्धति" को बेहतर बनाते हुए "ऑन साइट सीखने की पद्धति" पर बल देना है जिसके माध्यम से सिविल सेवक अपने कार्य परिवेश में सीखते हैं और केवल उच्च स्तर की सीखने की क्रिया ही प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से संपन्न की जाती है।
• शिक्षण सामग्री तथा कार्मिकों सहित साझा प्रशिक्षण अवसंरचना कार्यतंत्र का निर्माण करना।
• सभी सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (जैसे कि केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान आदि) की कार्य प्रणाली में सामंजस्य स्थापित करना और उन्हें घरेलू तथा वैश्विक संस्थानों के साथ साझेदारी में सक्षम बनाना।
• कौशल सहित सिविल सेवा से संबंधित सभी कार्यों को भूमिकाओं, गतिविधियों तथा दक्षता के ढांचे में व्यवस्थित करना (इसके बाद एफआरएसी के रूप में संदर्भित किया गया है)।
• आईगोट- कर्मयोगी के संबंध में विषय-वस्तु बाजार स्थल बनाने के लिए आंतरिक संसाधनों के साथ- साथ निजी क्षेत्र सहित सभी विषय-वस्तु सृजनकर्ताओं के साथ साझेदारी करना।
• अपनी भौगोलिक स्थितियों तथा पद सोपान में अपनी स्थिति के संबंध में संशय रखने वाले सभी सिविल सेवकों के लिए हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षण विषय-वस्तु तक पहुंच सुनिश्चित करना।
• व्यक्तिगत शिक्षार्थियों को स्वयं द्वारा निर्धारित तथा अधिदेशित सीखने के मार्गों का पालन करने में सक्षम बनाना।
• सेवाओं के बीच क्षैतिज और संयुक्त कार्यक्रमों सहित सभी सेवाओं के लिए मध्य-कैरिअर प्रशिक्षण (एमसीटीपी) कार्यक्रम को अनिवार्य बनाना।
दक्षता ढांचा
4.1 कौशल सहित भूमिकाओं, गतिविधियों, दक्षताओं के ढांचे (एफआरएसीएस) को परिभाषित करने का कार्य संघ सरकार के प्रत्येक मंत्रालय/विभाग/संगठन द्वारा किया जाएगा और आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफार्म के साथ एकीकृत किया जाएगा। ‘एफआरएसीएस’ का यह कार्य सरकार के प्रत्येक पद के लिए अपेक्षित भूमिकाओं, गतिविधियों और कौशलों को परिभाषित करेगा। तत्पश्चात्, एफआरएसी मॉडल का पालन करते हुए कार्य-आबंटन, रिक्तियों की अधिसूचनाएं आदि आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफार्म पर की जाएगी। इसके अलावा, एफआरएसीएस मॉडल के लिए उपयुक्त सामग्री 70:20:10 नियम (70% संकेतात्मक ऑनलाइन प्रशिक्षण, 20% जॉब पर और 10% भौतिक रूप से) पर भागीदार संगठन द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।
डिजिटल लर्निंग ढांचा (आईगॉट-कर्मयोगी मंच)
5.1 सभी सरकारी कर्मचारियों की क्षमता विकास के लिए डिजिटल इंडिया अधिसंरचना (स्टैक) के अभिन्न अंग के रूप में एक ऑनलाइन लर्निंग मंच, आईगॉट-कर्मयोगी विकसित किया गया है। यह लगभग 2.0 करोड़ उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए कभी-भी-कहीं-भी किसी-भी उपकरण से सीखने की सुविधा प्रदान करेगा जो अब तक पारंपरिक उपायों के माध्यम से किया जाना संभव नहीं था।
5.2 विषय-वस्तु का निर्माण: इस मंच के एक सशक्त ई-लर्निंग विषयवस्तु उद्योग द्वारा समर्थित एफआरएसी के अनुरूप निर्मित की गई विषयवस्तु के लिए एक जीवंत और विश्व स्तरीय बाजार स्थल के रूप में विकसित होने की संकल्पना की गई है। विषयवस्तु को अलग-अलग सरकारी मंत्रालयों या संगठनों द्वारा स्वयं या ज्ञान भागीदारों (नॉलेज पार्टनर्स) के माध्यम से निर्मित किया जा सकता है। सर्वोत्तम संस्थानों, विश्वविद्यालयों, निजी विषयवस्तु प्रदाताओं और व्यक्तिगत संसाधनों द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की गई और विधीक्षित विषयवस्तु को प्रशिक्षण मॉड्यूल के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।
5.3 एक गैर-लाभ अर्जक कंपनी के रूप में एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) को 100% सरकारी स्वामित्व वाली इकाई के रूप में जनवरी,2022 में निगमित किया गया है जिसका कार्य सरकार की ओर से डिजिटल/ई-लर्निंग मंच, सभी सॉफ्टवेयर के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) सहित विषयवस्तु, प्रक्रिया आदि के स्वामित्व, प्रबंधन, रख-रखाव और सुधार करना होगा। कार्यक्रम को आंशिक रूप से धनराशि प्रदान करने के लिए सभी हितधारकों से अनिवार्य सदस्यता-आधारित राजस्व मॉडल को निर्मित किया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग सभी मंत्रालयों और संगठनों के लिए वार्षिक सदस्यता शुल्क तय करेगा और उन्हें इससे अवगत कराएगा जिसका भुगतान संबंधित मंत्रालय या विभाग द्वारा किया जाएगा।
ई-मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस)
6.1 केंद्र सरकार में डिजिटल कामकाजी माहौल को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी विभागों में एक इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस) शुरू की गई है। इससे सरकार को अधिकारियों के सेवा मामलों का डिजिटल रूप से प्रबंधन करने में मदद मिलेगी जिससे कामकाज के समय और लागत में कमी आएगी, डिजिटल अभिलेखों की उपलब्धता, एमआईएस के लिए डैशबोर्ड, अन्य बातों के साथ-साथ जनशक्ति संबंधी तैनाती की वास्तविक समय में निगरानी और उत्पादकता वृद्धि उपकरण के रूप में सेवा प्रदान की जा सकेगी। ई-एचआरएमएस को आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत रूप में जोड़ा जाएगा।
संस्थानिक ढांचा
7.1 एनपीसीएससीबी में निम्नलिखित संस्थानिक ढांचा होगा:
(i) प्रधानमंत्री सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद (इसके बाद इसमें ‘पीएमएचआरसी’ के रूप में संदर्भित) : भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में प्रख्यात सार्वजनिक मानव संसाधन पेशेवरों, विचारकों, वैश्विक विचारकों और भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के प्रतिनिधियों को शामिल करने वाली इस परिषद की संकल्पना सिविल सेवा सुधारों और क्षमता विकास को रणनीतिक प्रेरणा और दिशा प्रदान करने के शीर्ष निकाय के रूप में की गई है। यह नीतिगत कार्य करने के लिए क्षेत्रों की पहचान करेगी और राष्ट्रीय क्षमता विकास योजना को मंजूरी प्रदान करेगी।
(ii) मंत्रिमण्डल सचिवालय समन्वय एकक- मंत्रिमण्डल सचिव की अध्यक्षता में एक समन्वय एकक एनपीसीएससीबी के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। यह सभी हितधारकों को समन्वित करेगा और क्षमता विकास योजनाओं की देखरेख के लिए कार्यतंत्र प्रदान करेगा।
(iii) सिविल सेवा क्षमता विकास आयोग - सिविल सेवा क्षमता विकास आयोग एनपीसीएससीबी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग है। यह वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं की तैयारी का समन्वय, उनके कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन करेगा तथा साझा संसाधनों के पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के उद्देश्य से प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआई आदि) की कार्यात्मक निगरानी करेगा। आयोग के सचिवालय की अध्यक्षता भारत सरकार के संयुक्त सचिव (आयोग के सचिव के रूप में नामित) ग्रेड के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
(iv) विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी)- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में एक गैर-लाभ अर्जक कंपनी को सरकार की ओर से डिजिटल परिसंपत्तियों अर्थात आईगॉट कर्मयोगी-डिजिटल/ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, सभी सॉफ्टवेयर के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), विषयवस्तु, प्रक्रिया आदि के स्वामित्व, प्रबंधन, रख-रखाव और सुधार के लिए 100% सरकारी स्वामित्व वाले एकक के रूप में निगमित किया जाएगा। एसपीवी की जिम्मेदारी होगी कि वह विषयवस्तु बाजारस्थल का निर्माण करे और इसे प्रचालनरत बनाए और इसके उपयोग का लगातार मूल्यांकन करे।
(v) सहायता एजेंसियों के साथ अंतराफलक (इंटरफेस) प्रदान करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में एक कार्यक्रम प्रबंधन एकक (पीएमयू) स्थापित किया जा रहा है। यह एनपीसीएससीबी के विभिन्न पहलुओं को शुरू और प्रबंधित करने के लिए विभाग को कार्यक्रम प्रबंधन और सहायता सेवाएं प्रदान करेगा ।
7.2 क्षमता विकास आयोग के कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित होंगे:
(i) क्षमता में सुधार के लिए सामंजस्यपूर्ण और संकीर्णता मुक्त दृष्टिकोण विकसित करने के लिए सरकार के विभागों, संगठनों और एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करना
(ii) वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं को तैयार करने और इसके कार्यान्वयन की आवधिक प्रगति की निगरानी और रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करना
(iii) सिविल सेवाओं के क्रियाकलाप की स्थिति के संबंध में वार्षिक मानव संसाधन रिपोर्ट तैयार करना
(iv) सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों को प्रशिक्षण और क्षमता विकास के मानकीकरण के बारे में सिफारिशें करना
(v) क्षमता विकास, विषयवस्तु के निर्माण, दक्षता के मानचित्रण, फीडबैक आदि के विभिन्न पहलुओं से संबंधित आईगॉट-कर्मयोगी के माध्यम से प्राप्त होने वाले आंकड़ों का विश्लेषण करना
(vi) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों और बजट का उपयोग कर पीएमएचआरसी के मार्गदर्शन में वैश्विक सार्वजनिक मानव संसाधन शिखर सम्मेलन का आयोजन करना
(vii) एनपीसीएससीबी के लिए ज्ञान साझेदारों (नॉलेज पार्टनर्स) को मंजूरी प्रदान करना
7.3 विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के प्राथमिक कार्य निम्नलिखित होंगे:
(i) डिजिटल मंच और बुनियादी ढांचे को निर्मित करना, लागू करना, बढ़ाना और प्रबंधन करना
(ii) विषयवस्तु को आंतरिक रूप से प्राप्त करना, खरीदना तथा निर्माण करना और विषयवस्तु का सत्यापन सुनिश्चित करना
(iii) अनुवीक्षित मूल्यांकन सेवाओं का प्रबंधन और वितरण करना
(iv) टेलीमेट्री आंकड़ों के अभिशासन का प्रबंधन करना और चिह्नित प्राधिकारियों को ऐसे आंकड़े/विश्लेषण उपलब्ध कराना
निगरानी और मूल्यांकन ढांचा
8.1 आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म के सभी उपयोगकर्ताओं के कार्यनिष्पादन की निगरानी और मूल्यांकन प्रमुख कार्यनिष्पादन संकेतकों (केपीआई) के आधार पर किया जाएगा। इसमें व्यक्तिगत शिक्षार्थी, पर्यवेक्षक, संगठन, सहकर्मी समूह, विषयवस्तु प्रदाता, विषयवस्तु निर्माता, और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता आदि शामिल होंगे। एक डैशबोर्ड और वार्षिक सिविल सेवा रिपोर्ट की स्थिति सरकार के सभी विभागों, संगठनों और एजेंसियों के लिए प्रमुख कार्यनिष्पादन संकेतकों (केपीआई) को दर्शाएगा और भविष्य के सार्वजनिक मानव संसाधन प्रबंधन और क्षमता विकास के लिए रोडमैप के साथ वर्तमान पहलों के परिणामों, उद्देश्यों की तुलना में लक्ष्यों (आईगॉट-कर्मयोगी डैशबोर्ड के प्रमुख केपीआई सहित) के संबंध में दस्तावेज तैयार करेंगे।
एनपीसीएससीबी का वित्तपोषण
9. 5 वर्षों की अवधि में 510.86 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने का प्रस्ताव है। इसमें 47 मिलियन डॉलर (लगभग 350.00 करोड़ रुपये की राशि) की बहुपक्षीय सहायता शामिल है।