योजनाएं

I - केन्‍द्रीय सेक्‍टर की योजनाएं

  • केन्द्रीय क्षेत्रक योजना, सभी के लिए प्रशिक्षण (टीएफए) 1992 से डीओपीटी द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। वर्तमान में, योजना के 4 घटक है :

    1. राज्य श्रेणी के प्रशिक्षण कार्यक्रम (एससीटीपी) : केन्द्र सरकार द्वारा प्राथमिकता दिए गए क्षेत्रों में अल्पावधिक (सामान्यतया 3 दिन के) प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए राज्य/संघ शासित प्रदेश के एटीआई को समर्थन दिया जाता है। ये कार्यक्रम राज्य/संघ शासित प्रदेश की सरकारों/राज्य पीएसयू के वरिष्ठ और मध्यम स्तर से अधिकारियों के लिए कथ्यपरक (थीमैटिक) विषयों (सॉफ्ट स्किल, सामान्य और डोमेन विशेषीकृत) के संबंध में विभिन्न विषयों पर प्रबंधन कौशलों एवं ज्ञान का विकास करने और प्रमुख मुद्दों के बारे में उन्हें संवेदीकृत करने के लिए डिजाइन किया जाता है। पाठ्यक्रम का शुल्क प्रति प्रतिभागी प्रतिदिन 1500/- रुपए है।

    2. प्रशिक्षु विकास कार्यक्रम (टीडीपी) एवं संकाय विकास योजना (एफडीएस) : प्रशासकों को प्रभावी लोक सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु केन्द्रीय और राज्य प्रशिक्षण संस्थानों की क्षमता को अधिक सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से वर्ष 1983 में टीडीपी की शुरूआत की गई थी। तत्पश्चात् कार्यक्रम को 1990 के दशक के प्रारम्भ में संस्थागत रूप दिया गया था। समय-अवधि के साथ स्वदेशी तंत्र विकसित कर लिया गया है। केन्द्र और राज्य प्रशिक्षण संस्थानों की प्रशासकों की प्रशिक्षण देने की क्षमता को बढ़ाने को ध्यान में रखते हुए विभिन्न “प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी)” पैकेजों के माध्यम से केन्द्र/राज्य सरकार के कर्मचारियों को मास्टर प्रशिक्षकों एवं मान्यता प्राप्त प्रशिक्षकों के रूप में विकसित करके देश में व्यावसायिक प्रशिक्षकों और रिसोर्स पर्सन का एक संवर्ग विकसित करना इसका उद्देश्य है ताकि सोपानी और गुणक प्रभाव सृजित किया जा सके। सरकारी अधिकारियों को प्रभावी प्रशिक्षण प्रदान करने और इसका डिजाइन तैयार करने की प्रक्रिया में प्रशिक्षण का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अन्तर्निहित है। प्रशिक्षण कौशल को निम्नलिखित टीओटी में विकसित किया गया है – सीधा प्रशिक्षक कौशल (डायरेक्ट ट्रेनर्स स्किल)(डीटीएस), प्रशिक्षण का प्रारूप (डीओटी), प्रशिक्षण का मूल्यांकन (ईओटी), आनुभाविक अधिगम टूल (ई.एल.टी), प्रशिक्षण का प्रबंधन (एमओटी), प्रशिक्षण आवश्यकताओं का आकलन (टीएनए), परामर्श कौशल (मेंटरिंग स्किल) एवं सरलीकरण (फैसिलीटेशन) कौशल। पाठ्यक्रम का शुल्क प्रतिदिन प्रति प्रतिभागी 2000 रुपए है।

    एफ.डी.एस का क्रियान्वयन इस विभाग द्वारा टीडीपी घटक के अंतर्गत तैयार किए गए प्रशिक्षकों एवं केन्द्र/राज्य प्रशिक्षण संस्थाओं के संकाय सदस्यों के ज्ञान एवं कौशल आधार को विस्तार देने और परिष्कृत करने के उद्देश्य से किया जाता है। प्रशिक्षकों/संकाय सदस्यों को प्रमुख संस्थानों द्वारा संचालित घरेलू लघु अवधि कार्यक्रमों/पत्राचार कार्यक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रायोजित किया जाता है। यह विभाग प्रत्येक प्रतिभागी को 2 वर्षीय ब्लॉक में 75,000 रूपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

    3. प्रवेशन प्रशिक्षण (कोमिट) पर व्यापक ऑनलाइन संशोधित मॉड्यूल्स : वर्ष 2017 में मिश्रित प्रारूप में प्रशिक्षण कार्यक्रम को आरंभ किया गया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से, प्रत्येक वर्ष तीन लाख से भी अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता था। प्रवेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य लोक सेवा वितरण तंत्र में सुधार लाने हेतु अत्याधुनिक (कटिंग एज) स्तर के सरकारी पदाधिकारियों में उनकी क्षमताओं को मजबूत करने और एक मनोवृतिपरक बदलाव लाने के लिए सामान्य (जेनेरिक) एवं डोमेन विशिष्ट क्षमताओं को विकसित करना है। इसके पास 20 घंटे की अवधि के 15 ई-मॉड्यूल – सामान्य (जेनेरिक) विषयों अर्थात् सॉफ्ट स्किल्स (व्यक्तिगत प्रबंधन) पर 12 मॉड्यूल और डोमेन-विशिष्ट विषयों (आरटीआई अधिनियम, कार्यालय प्रक्रिया एवं वित्त और लेखा) पर 3 मॉड्यूल हैं। इसके अतिरिक्त, सामान्य (जेनेरिक) विषयों पर मॉड्यूलों के बारे में इन परसन मोड में एक आठ घंटे लंबा परिचयात्मक सत्र आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम को एटीआई के माध्यम से लागू किया जाता है। इन मिश्रित कार्यक्रमों के लाभों में प्रत्यक्ष रूप से (फेस-टू-फेस) कक्षा अनुभव के लाभ को बनाए रखते हुए समय का लचीलापन और सुविधा शामिल हैं।

    4. प्रशिक्षण संस्थानों की क्षमता का विस्तार (एसीटीआई) : इस पहल का उद्देश्य हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और कोर्सवेयर, प्रशिक्षण संस्थानों की नेटवर्किंग और प्रशिक्षण को सुदृढ़ बनाना; तथा केस स्टडीज ई-लर्निंग पैकेजों, प्रशिक्षण फिल्मों को विकसित करना, कार्यशालाओं, विशेष कार्यक्रमों, सेमिनारों इत्यादि का आयोजन करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के एटीआई को सहायता प्रदान करना है। मैचिंग योगदान के रूप में, यह विभाग वस्तुओं की लागत के 90 प्रतिशत का व्यय वहन करता है और संबंधित मैचिंग योगदान के रूप में लागत के एटीआई शेष 10 प्रतिशत का व्यय वहन करता है।

    नोट : 12 दिवसीय प्रवेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम (12-दिवसीय आईटीपी) और गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम (आईटीपी) के घटकों को स्कीम से हटा दिया गया है; और टीडीपी एवं एफडीएस के घटकों का सीएफवाई से टीडीपी – एडीएस के रूप में विलय कर दिया गया है।

  • डीएफएफटी स्‍कीम अधिकारियों को देश के बाहर के विश्‍वविद्यालयों/संस्‍थानों के लिए नामित करके नीति एवं शासन के क्षेत्र में उनका अंतर्राष्‍ट्रीय सर्वश्रेष्‍ठ पद्धतियों एवं विकास से परिचय कराकर उनकी क्षमता को बढ़ाने तथा उनके वर्तमान कार्य क्षेत्रों में और उनके भावी समनुदेशनों (असाइनमेंट) में भी ज्ञान, कौशल और क्षमता में वृद्धि करने की परिकल्‍पना करती है।

    कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग का प्रशिक्षण प्रभाग डीएफएफटी स्‍कीम को वर्ष 2001-02 से कार्यान्‍वित कर रहा है।

    कार्यक्रम:-
    दीर्घ अवधि विदेशी प्रशिक्षण कार्यक्रम (6-12 माह)
    लघु अवधि विदेशी प्रशिक्षण कार्यक्रम (6 माह तक)
    विदेशी अध्‍ययन की आंशिक फंडिग (6 माह से अधिक)

    टिप्‍पणी: वर्ष 2020-21 से कोविड-19 महामारी के फैलने के कारण लगाई गई पाबंदियों के कारण सुरक्षा उपायों तथा वित्‍तीय मितोपभोग (ऑस्‍टरिटी) को ध्‍यान में रखते हुए डीएफएफटी कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जा सकता।

    दिनांक 01.04.2021 के कार्यालय ज्ञापन के माध्‍यम से विदेशी प्रशिक्षण पर जारी पाबंदिया अगले आदेशों तक लागू रहेंगी।

  • आईएसटीएम में प्रशिक्षण सुविधाओं में वृद्धि के लिए स्‍कीम का उद्देश्‍य एक बृहद गुणात्‍मक सुधार लाना और आईएसटीएम की प्रशिक्षण अवसंरचना का उन्‍नयन करना तथा न केवल प्रशिक्षण सुविधाओं और उपस्‍कर का विस्‍तार करके अपितु हाई स्‍पीड वाले इंटरनेट, अत्‍याधुनिक प्रशिक्षण उपस्‍कर, उच्‍च गुणवत्‍ता वाले श्रव्‍य-दृश्‍य उपस्‍कर और विश्‍व-स्‍तरीय ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री तक पहुंच की व्‍यवस्‍था करके उपभोक्‍ता के अनुभव को बढ़ाकर आईएसटीएम को बढ़ती प्रशिक्षण आवश्‍यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम बनाना है। वास्‍तविक अवसंरचना के उन्‍नयन के परिणामस्‍वरूप प्रशिक्षण सभागारों का भी नवीकरण, कक्षा-कक्षों में अधिक आरामदायक फर्नीचरों की व्‍यवस्‍था और छात्रावास, पुस्‍तकालय और प्रशासनिक ब्‍लॉकों को फिर से चमकाने, पुस्‍तकालय का उन्‍नयन और डिजिटीकरण, आईसीटी प्रयोगशाला का आधुनिकीकरण और डिजिटल अधिगम पहले की गई है।

  • • वित्‍तीय वर्ष 2021-22 के दौरान लबासना में चल रही मुख्‍य परियोजनाएं निम्‍न प्रकार हैं :
    1. नया स्‍पोर्ट्स काम्‍प्‍लैक्‍स ---- पूर्ण हो गया
    2. लबासना की चारदीवारी ---- पूर्ण हो गया
    3. नया मॉनेस्‍टरी छात्रावास ---- राष्‍ट्रपति द्वारा 09.12.2022 को उद्घाटन

    • लबासना में आयोजित पाठ्यक्रम
    1. बुनियादी पाठ्यक्रम
    2. चरण ।
    3. चरण ।।
    4. चरण ।।।
    5. चरण IV
    6. चरण V
    7. प्रवेशन पाठ्यक्रम
    8. सयुंक्‍त सिविल सैन्‍य कार्यक्रम
    9. सामान्‍य एमसीटीवी (नया प्रशिक्षण कार्यक्रम)

    • नए स्‍पोर्ट्स काम्‍प्‍लैक्‍स, लबासना की चारदीवारी और नए मॉनेस्‍टरी हॉस्‍टल के निर्माण में पूंजीगत बजट का उपयोग किया गया है।
    • लबासना में छात्रावास की सुविधा के रख-रखाव के लिए राजस्‍व का उपयोग किया गया है।

  • उद्देश्य

    1.1 सिविल सेवाएं सभी सरकारी गतिविधियों के केंद्र में हैं-वे नीति निर्माण के एजेंट हैं और ऐसी कार्यकारी व्यवस्था है जो जमीनी स्तर पर कार्यनिष्पादन करती हैं। सिविल सेवकों का कौशल एवं क्षमता, सेवाएं प्रदान करने, कार्यक्रम कार्यान्वयन और शासन संबंधी मुख्य कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व को देखते हुए, राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) का उद्देश्य एक ऐसी पेशेवर, सुप्रशिक्षित और भविष्य का दृष्टिकोण रखने वाली सिविल सेवा का निर्माण करना है जो भारत की विकासात्मक आकांक्षाओं, राष्ट्रीय कार्यक्रमों और प्राथमिकताओं की साझा समझ का जज्बा रखती हो।

    1.2 एनपीसीएससीबी का मुख्य जोर नागरिक और सरकार के परस्पर संबंध को बढ़ाकर जीवनयापन की सुगमता (ईज ऑफ लिविंग) और व्यापार करने की सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) को बढ़ावा देने पर है। इसमें सिविल सेवकों के बीच कार्यात्मक और व्यवहारात्मक दक्षताओं दोनों का विकास शामिल है।

    एनपीसीएससीबी – आधार स्तंभ और दर्शन

    2.1 नीति आयोग ने इंडिया@75 पर अपनी रिपोर्ट में प्रशिक्षण में सुधार की जरूरत पर प्रकाश डाला है। कोविड-19 महामारी के दौरान प्राप्त अनुभवों ने भी सिविल सेवा के सक्रियशील होने और विविध हितधारकों के साथ साझेदारी करने में सक्षम होने और नई दक्षताओं की अद्यतन जानकारी की आवश्यकता पर जोर दिया है। एनपीसीएससीबी को सिविल सेवकों की भावी पीढ़ियों के लिए क्षमता विकास की नींव रखने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए दुनिया भर के सर्वोत्तम कार्य व्यवहारों से सीख सकें ।

    2.2 एनपीसीएससीबी का प्रमुख दर्शन "नियम आधारित" प्रणाली को "भूमिका-आधारित" प्रणाली में बदलकर दक्षता उन्मुख प्रशिक्षण और मानव संसाधन (एचआर) प्रबंधन का एक व्यवस्था तंत्र बनाना है।

    2.3 राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम में छह प्रमुख स्तंभ हैं अर्थात्
    क) नीतिगत ढांचा
    ख) सांस्थानिक ढांचा
    ग) दक्षता ढांचा
    घ) डिजिटल लर्निंग फ्रेमवर्क आईगॉट-कर्मयोगी (एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण कर्मयोगी प्‍लेटफॉर्म)
    ड़) इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस) और
    च) निगरानी और मूल्यांकन ढांचा ।

    2.4 एनपीसीएससीबी केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संगठनों और एजेंसियों में सभी सिविल सेवकों (संविदात्मक कर्मचारियों सहित) को शामिल करेगा। इच्छुक राज्य सरकारों को भी अपनी क्षमता विकास योजनाओं को इसी तर्ज पर तैयार करने में सक्षम बनाया जाएगा।

    नीतिगत ढांचा

    3.1 एक दक्षता आधारित मानव संसाधन नीति के लिए सही समय पर सही भूमिका के लिए सही व्यक्ति को काम सौंपने की आवश्यकता होती है। एनपीसीएससीबी का उद्देश्य सरकार में ऐसी एचआर नीति को लागू करने की दिशा में एक मजबूत नीतिगत ढांचा तैयार करना है। नीतिगत ढांचे में पूरे कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन के लिए और विशेष रूप से सीखने की सामग्री की गुणवत्ता, उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया का आकलन एवं दक्षता मूल्यांकन करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डाटा एनालिटिक्स जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों को भी अपनाने में मदद मिलेगी।

    3.2 यह दृष्टिकोण क्षमता विकास में संकीर्णतावादी दृष्टिकोण (साइलो) को तोड़ेगा और सिविल सेवाओं में समान आधार पर ज्ञान को सभी को उपलब्ध कराएगा। प्रशिक्षण और क्षमता विकास की सुविधा प्रदान करने के अलावा सेवा मामलों जैसे स्थायीकरण अर्थात् परिवीक्षा अवधि पूरी होना, तैनाती, कार्य आबंटन, कार्य समुनदेशन, रिक्तियों की अधिसूचना आदि को प्रस्तावित दक्षता ढांचे के साथ एकीकृत किया जाएगा।

    3.3 इस प्रस्तावित नीतिगत ढांचे के प्रमुख सिद्धांत निम्नानुसार हैं:
    • भौतिक क्षमता विकास पद्धति को ऑन-लाइन प्रशिक्षण पद्धति के माध्यम से और बेहतर बनाना।
    • "ऑफ साइट-सीखने की पद्धति" को बेहतर बनाते हुए "ऑन साइट सीखने की पद्धति" पर बल देना है जिसके माध्यम से सिविल सेवक अपने कार्य परिवेश में सीखते हैं और केवल उच्च स्तर की सीखने की क्रिया ही प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से संपन्न की जाती है।
    • शिक्षण सामग्री तथा कार्मिकों सहित साझा प्रशिक्षण अवसंरचना कार्यतंत्र का निर्माण करना।
    • सभी सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (जैसे कि केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान आदि) की कार्य प्रणाली में सामंजस्य स्थापित करना और उन्हें घरेलू तथा वैश्विक संस्थानों के साथ साझेदारी में सक्षम बनाना।
    • कौशल सहित सिविल सेवा से संबंधित सभी कार्यों को भूमिकाओं, गतिविधियों तथा दक्षता के ढांचे में व्यवस्थित करना (इसके बाद एफआरएसी के रूप में संदर्भित किया गया है)।
    • आईगोट- कर्मयोगी के संबंध में विषय-वस्तु बाजार स्थल बनाने के लिए आंतरिक संसाधनों के साथ- साथ निजी क्षेत्र सहित सभी विषय-वस्तु सृजनकर्ताओं के साथ साझेदारी करना।
    • अपनी भौगोलिक स्थितियों तथा पद सोपान में अपनी स्थिति के संबंध में संशय रखने वाले सभी सिविल सेवकों के लिए हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षण विषय-वस्तु तक पहुंच सुनिश्चित करना।
    • व्यक्तिगत शिक्षार्थियों को स्वयं द्वारा निर्धारित तथा अधिदेशित सीखने के मार्गों का पालन करने में सक्षम बनाना।
    • सेवाओं के बीच क्षैतिज और संयुक्त कार्यक्रमों सहित सभी सेवाओं के लिए मध्य-कैरिअर प्रशिक्षण (एमसीटीपी) कार्यक्रम को अनिवार्य बनाना।

    दक्षता ढांचा

    4.1 कौशल सहित भूमिकाओं, गतिविधियों, दक्षताओं के ढांचे (एफआरएसीएस) को परिभाषित करने का कार्य संघ सरकार के प्रत्येक मंत्रालय/विभाग/संगठन द्वारा किया जाएगा और आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफार्म के साथ एकीकृत किया जाएगा। ‘एफआरएसीएस’ का यह कार्य सरकार के प्रत्येक पद के लिए अपेक्षित भूमिकाओं, गतिविधियों और कौशलों को परिभाषित करेगा। तत्पश्चात्, एफआरएसी मॉडल का पालन करते हुए कार्य-आबंटन, रिक्तियों की अधिसूचनाएं आदि आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफार्म पर की जाएगी। इसके अलावा, एफआरएसीएस मॉडल के लिए उपयुक्त सामग्री 70:20:10 नियम (70% संकेतात्‍मक ऑनलाइन प्रशिक्षण, 20% जॉब पर और 10% भौतिक रूप से) पर भागीदार संगठन द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।

    डिजिटल लर्निंग ढांचा (आईगॉट-कर्मयोगी मंच)

    5.1 सभी सरकारी कर्मचारियों की क्षमता विकास के लिए डिजिटल इंडिया अधिसंरचना (स्‍टैक) के अभिन्न अंग के रूप में एक ऑनलाइन लर्निंग मंच, आईगॉट-कर्मयोगी विकसित किया गया है। यह लगभग 2.0 करोड़ उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए कभी-भी-कहीं-भी किसी-भी उपकरण से सीखने की सुविधा प्रदान करेगा जो अब तक पारंपरिक उपायों के माध्यम से किया जाना संभव नहीं था।

    5.2 विषय-वस्‍तु का निर्माण: इस मंच के एक सशक्‍त ई-लर्निंग विषयवस्‍तु उद्योग द्वारा समर्थित एफआरएसी के अनुरूप निर्मित की गई विषयवस्‍तु के लिए एक जीवंत और विश्व स्तरीय बाजार स्‍थल के रूप में विकसित होने की संकल्‍पना की गई है। विषयवस्‍तु को अलग-अलग सरकारी मंत्रालयों या संगठनों द्वारा स्‍वयं या ज्ञान भागीदारों (नॉलेज पार्टनर्स) के माध्यम से निर्मित किया जा सकता है। सर्वोत्‍तम संस्थानों, विश्वविद्यालयों, निजी विषयवस्‍तु प्रदाताओं और व्यक्तिगत संसाधनों द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की गई और वि‍धीक्षित विषयवस्‍तु को प्रशिक्षण मॉड्यूल के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।

    5.3 एक गैर-लाभ अर्जक कंपनी के रूप में एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) को 100% सरकारी स्वामित्व वाली इकाई के रूप में जनवरी,2022 में निगमित किया गया है जिसका कार्य सरकार की ओर से डिजिटल/ई-लर्निंग मंच, सभी सॉफ्टवेयर के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) सहित विषयवस्‍तु, प्रक्रिया आदि के स्‍वामित्‍व, प्रबंधन, रख-रखाव और सुधार करना होगा। कार्यक्रम को आंशिक रूप से धनराशि प्रदान करने के लिए सभी हितधारकों से अनिवार्य सदस्यता-आधारित राजस्व मॉडल को निर्मित किया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग सभी मंत्रालयों और संगठनों के लिए वार्षिक सदस्यता शुल्क तय करेगा और उन्‍हें इससे अवगत कराएगा जिसका भुगतान संबंधित मंत्रालय या विभाग द्वारा किया जाएगा।

    ई-मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस)

    6.1 केंद्र सरकार में डिजिटल कामकाजी माहौल को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी विभागों में एक इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस) शुरू की गई है। इससे सरकार को अधिकारियों के सेवा मामलों का डिजिटल रूप से प्रबंधन करने में मदद मिलेगी जिससे कामकाज के समय और लागत में कमी आएगी, डिजिटल अभिलेखों की उपलब्धता, एमआईएस के लिए डैशबोर्ड, अन्‍य बातों के साथ-साथ जनशक्ति संबंधी तैनाती की वास्तविक समय में निगरानी और उत्पादकता वृद्धि उपकरण के रूप में सेवा प्रदान की जा सकेगी। ई-एचआरएमएस को आईगॉट-कर्मयोगी प्‍लेटफॉर्म के साथ एकीकृत रूप में जोड़ा जाएगा।

    संस्‍थानिक ढांचा

    7.1 एनपीसीएससीबी में निम्नलिखित संस्थानिक ढांचा होगा:
    (i) प्रधानमंत्री सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद (इसके बाद इसमें ‘पीएमएचआरसी’ के रूप में संदर्भित) : भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में प्रख्यात सार्वजनिक मानव संसाधन पेशेवरों, विचारकों, वैश्विक विचारकों और भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के प्रतिनिधियों को शामिल करने वाली इस परिषद की संकल्पना सिविल सेवा सुधारों और क्षमता विकास को रणनीतिक प्रेरणा और दिशा प्रदान करने के शीर्ष निकाय के रूप में की गई है। यह नीतिगत कार्य करने के लिए क्षेत्रों की पहचान करेगी और राष्ट्रीय क्षमता विकास योजना को मंजूरी प्रदान करेगी।
    (ii) मंत्रिमण्‍डल सचिवालय समन्वय एकक- मंत्रिमण्‍डल सचिव की अध्यक्षता में एक समन्वय एकक एनपीसीएससीबी के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। यह सभी हितधारकों को समन्वित करेगा और क्षमता विकास योजनाओं की देखरेख के लिए कार्यतंत्र प्रदान करेगा।
    (iii) सिविल सेवा क्षमता विकास आयोग - सिविल सेवा क्षमता विकास आयोग एनपीसीएससीबी का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण भाग है। यह वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं की तैयारी का समन्वय, उनके कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन करेगा तथा साझा संसाधनों के पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के उद्देश्य से प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआई आदि) की कार्यात्मक निगरानी करेगा। आयोग के सचिवालय की अध्‍यक्षता भारत सरकार के संयुक्त सचिव (आयोग के सचिव के रूप में नामित) ग्रेड के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
    (iv) विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी)- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में एक गैर-लाभ अर्जक कंपनी को सरकार की ओर से डिजिटल परिसंपत्तियों अर्थात आईगॉट कर्मयोगी-डिजिटल/ई-लर्निंग प्‍लेटफॉर्म, सभी सॉफ्टवेयर के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), विषयवस्‍तु, प्रक्रिया आदि के स्‍वामित्‍व, प्रबंधन, रख-रखाव और सुधार के लिए 100% सरकारी स्वामित्व वाले एकक के रूप में निगमित किया जाएगा। एसपीवी की जिम्मेदारी होगी कि वह विषयवस्‍तु बाजारस्‍थल का निर्माण करे और इसे प्रचालनरत बनाए और इसके उपयोग का लगातार मूल्यांकन करे।
    (v) सहायता एजेंसियों के साथ अंतराफलक (इंटरफेस) प्रदान करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में एक कार्यक्रम प्रबंधन एकक (पीएमयू) स्थापित किया जा रहा है। यह एनपीसीएससीबी के विभिन्न पहलुओं को शुरू और प्रबंधित करने के लिए विभाग को कार्यक्रम प्रबंधन और सहायता सेवाएं प्रदान करेगा ।

    7.2 क्षमता विकास आयोग के कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित होंगे:
    (i) क्षमता में सुधार के लिए सामंजस्यपूर्ण और संकीर्णता मुक्‍त दृष्टिकोण विकसित करने के लिए सरकार के विभागों, संगठनों और एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करना
    (ii) वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं को तैयार करने और इसके कार्यान्वयन की आवधिक प्रगति की निगरानी और रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करना
    (iii) सिविल सेवाओं के क्रियाकलाप की स्थिति के संबंध में वार्षिक मानव संसाधन रिपोर्ट तैयार करना
    (iv) सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों को प्रशिक्षण और क्षमता विकास के मानकीकरण के बारे में सिफारिशें करना
    (v) क्षमता विकास, विषयवस्तु के निर्माण, दक्षता के मानचित्रण, फीडबैक आदि के विभिन्न पहलुओं से संबंधित आईगॉट-कर्मयोगी के माध्‍यम से प्राप्‍त होने वाले आंकड़ों का विश्लेषण करना
    (vi) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों और बजट का उपयोग कर पीएमएचआरसी के मार्गदर्शन में वैश्‍विक सार्वजनिक मानव संसाधन शिखर सम्‍मेलन का आयोजन करना
    (vii) एनपीसीएससीबी के लिए ज्ञान साझेदारों (नॉलेज पार्टनर्स) को मंजूरी प्रदान करना

    7.3 विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के प्राथमिक कार्य निम्नलिखित होंगे:
    (i) डिजिटल मंच और बुनियादी ढांचे को निर्मित करना, लागू करना, बढ़ाना और प्रबंधन करना
    (ii) विषयवस्‍तु को आंतरिक रूप से प्राप्‍त करना, खरीदना तथा निर्माण करना और विषयवस्‍तु का सत्यापन सुनिश्चित करना
    (iii) अनुवीक्षित मूल्यांकन सेवाओं का प्रबंधन और वितरण करना
    (iv) टेलीमेट्री आंकड़ों के अभिशासन का प्रबंधन करना और चिह्नित प्राधिकारियों को ऐसे आंकड़े/विश्‍लेषण उपलब्ध कराना

    निगरानी और मूल्यांकन ढांचा

    8.1 आईगॉट-कर्मयोगी प्‍लेटफॉर्म के सभी उपयोगकर्ताओं के कार्यनिष्‍पादन की निगरानी और मूल्यांकन प्रमुख कार्यनिष्‍पादन संकेतकों (केपीआई) के आधार पर किया जाएगा। इसमें व्यक्तिगत शिक्षार्थी, पर्यवेक्षक, संगठन, सहकर्मी समूह, विषयवस्‍तु प्रदाता, विषयवस्‍तु निर्माता, और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता आदि शामिल होंगे। एक डैशबोर्ड और वार्षिक सिविल सेवा रिपोर्ट की स्थिति सरकार के सभी विभागों, संगठनों और एजेंसियों के लिए प्रमुख कार्यनिष्‍पादन संकेतकों (केपीआई) को दर्शाएगा और भविष्य के सार्वजनिक मानव संसाधन प्रबंधन और क्षमता विकास के लिए रोडमैप के साथ वर्तमान पहलों के परिणामों, उद्देश्‍यों की तुलना में लक्ष्यों (आईगॉट-कर्मयोगी डैशबोर्ड के प्रमुख केपीआई सहित) के संबंध में दस्तावेज तैयार करेंगे।

    एनपीसीएससीबी का वित्‍तपोषण

    9. 5 वर्षों की अवधि में 510.86 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने का प्रस्ताव है। इसमें 47 मिलियन डॉलर (लगभग 350.00 करोड़ रुपये की राशि) की बहुपक्षीय सहायता शामिल है।